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श्री शाश्वत शिव मंदिर
Shri Shashwat Shiv Mandir
गोड़सरा गाँव में स्थापित शिव मंदिर को श्री शाश्वत शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस शिव मंदिर का निर्माण २००६ में गाँव और क्षेत्रवासियों के अथक परिश्रम से हुआ था. हर वर्ष महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर यहाँ धार्मिक कार्यक्रमों की धूम रहती है। मंदिर में सुबह से ही पूजा-अर्चना के साथ हवन किया जाता है और उसके साथ ही राम चरित मानस के अखंड पाठ का शुभारम्भ होता है. अगले दिन धूमधाम से यज्ञ के साथ राम चरित मानस पाठ का समापन होता है. दूर दराज से आये हुए साधू संतो की संगत में भंडारे का आयोजन होता है.
न्यास
Trust
सदा भवानी दाहिनी, सन्मुख रहे गणेश! तीन देव रक्षा करें, ब्रह्मा, विष्णु, महेश!!
भगवान् शिव सबके पालनहार हैं. श्री शाश्वत शिव ट्रस्ट का गठन श्री शाश्वत शिव मंदिर की देखभाल के साथ साथ समाज में जरूरतमंद और पिछड़े लोगों तक भगवान् शिव की कृपा से मदद पहुंचाना है.
सदस्य
Members
भगवान महादेव की कृपा से श्री शाश्वत शिव ट्रस्ट संस्था से एक बहुत ही कर्मठ और जुझारू टीम जुडी हुई जो संस्था और सामाजिक कार्यों के लिए तन, मन और धन से सदैव तत्पर रहती है. संस्था द्वारा महाशिव रात्रि का महा आयोजन लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र हुआ करता है. सामजिक कार्यों जैसे जरूरतमंद बच्चों की उत्तम शिक्षा व्यवस्था, गरीबों के लिए भोजन, कपडे और रहने की मदद, जरूरतमंद बालिकाओं के विवाह करवाने में भी संस्था के सदस्य तत्पर रहते हैं.
सहयोग
Donation
सामाजिक संरचना का मुख्य आधार आपसी सहयोग ही है. काम चाहे छोटा हो या बड़ा, अगर लोगों का सहयोग मिले तो बहुत आसानी से हो जाता है. श्री शाश्वत शिव ट्रस्ट आपसे आह्वान करता है यथोचित सहयोग का. अगर आपके पास समय है तो संस्था को समय का सहयोग कीजिये, अगर आपके पास धन है तो धन का भी सहयोग कीजिये. इससे हम एक बेहतर समाज को और बेहतर बनने में मदद कर पाएंगे. किसी भी प्रकार का सहयोग प्रदान करने के लिए संस्था में दिए गए फ़ोन नंबर या ईमेल पर संपर्क करें। आपके सहयोग के लिए कोटि कोटि धन्यवाद !
Shiv Mandir
शिव मंदिर
जिस प्रकार इस ब्रह्मण्ड का ना कोई अंत है, न कोई छोर और न ही कोई शूरुआत, उसी प्रकार शिव अनादि है सम्पूर्ण ब्रह्मांड शिव के अंदर समाया हुआ है जब कुछ नहीं था तब भी शिव थे जब कुछ न होगा तब भी शिव ही होंगे। शिव को महाकाल कहा जाता है, अर्थात समय। शिव अपने इस स्वरूप द्वारा पूर्ण सृष्टि का भरण-पोषण करते हैं। इसी स्वरूप द्वारा परमात्मा ने अपने ओज व उष्णता की शक्ति से सभी ग्रहों को एकत्रित कर रखा है। परमात्मा का यह स्वरूप अत्यंत ही कल्याणकारी माना जाता है क्योंकि पूर्ण सृष्टि का आधार इसी स्वरूप पर टिका हुआ है।
श्री शाश्वत शिव आरण्य संस्कृति जो आगे चल कर सनातन शिव धर्म नाम से जानी जाती है में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। इन्हें महाकाल, भोलेनाथ, आदिदेव, किरात, शंकर, चन्द्रशेखर, जटाधारी, नागनाथ, मृत्युंजय, त्रयम्बक, महेश, विश्वेश, महारुद्र, विषधर, नीलकण्ठ, महाशिव, उमापति, काल भैरव, भूतनाथ, रुद्र, शशिभूषण आदि नामों से भी जाना जाता है. वेद में इनका नाम रुद्र है।
श्री शाश्वत शिव व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं, तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता वासुकी विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है।
शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है।
रामायण में भगवान राम के कथन अनुसार शिव और राम में अंतर जानने वाला कभी भी भगवान शिव का या भगवान राम का प्रिय नहीं हो सकता। शुक्ल यजुर्वेद संहिता के अंतर्गत रुद्र अष्टाध्याई के अनुसार सूर्य इंद्र विराट पुरुष हरे वृक्ष, अन्न, जल, वायु एवं मनुष्य के कल्याण के सभी हेतु भगवान शिव के ही स्वरूप है भगवान सूर्य के रूप में वह शिव भगवान मनुष्य के कर्मों को भली-भांति निरीक्षण कर उन्हें वैसा ही फल देते हैं आशय यह है कि संपूर्ण सृष्टि शिवमय है मनुष्य अपने अपने कर्मानुसार फल पाते हैं अर्थात स्वस्थ बुद्धि वालों को वृष्टि जल अन्य आदि भगवान शिव प्रदान करते हैं और दुर्बुद्धि वालों को व्याधि दुख एवं मृत्यु आदि का विधान भी शिवजी करते हैं।
श्री शाश्वत शिव की सदा जय हो. ॐ नमः शिवाय
हिंदू समुदाय के लिए पूजा के लिए सबसे अच्छी जगह है".
प्रस्तावित कार्यक्रम
Upcoming Events
महाशिवरात्रि उत्सव
अखंड रामायण पाठ - शुभारंभ- दिनांक: 28 -फ़रवरी-2022.
श्री हनुमान मंदिर निर्माण - शुभारंभ-दिनांक: 01-मार्च-2022
अखंड रामायण समापन दिनांक: 01-मार्च-2022
भोजन एवं प्रसाद वितरण दिनांक: 01-मार्च-2022 (सायं 5:00 बजे से)
कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी और सहयोग के लिए समिति से संपर्क करें।
मकर संक्रांति/ उत्तरायण पर्व
माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।
स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥
हनुमान जी का मंदिर निर्माण
आध्यात्मिक और भौतिक दोनों ही दृष्टि से हनुमत कृपा जीव को ब्रह्म की ओर ही उन्मुख करेगी, संसार में उसको अपने संसाधन परहित में लगाने के लिए प्रेरित करेगी। हनुमानजी के स्वरुप को समझने से पहलें हमें उनके ध्येय वाक्य को पहले समझना होगा। श्रीहनुमानजी का ध्येय वाक्य हैं “राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहाँ बिश्राम” - हनुमानजी का प्राकट्य ही राम काज के लिए हुआ है.